[ad_1]
ऐप पर पढ़ें
यूपी के प्रयागराज में शनिवार की देर शाम को माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। माफिया डॉन से नेता बने अतीक अहमद पर 100 से अधिक मामले दर्ज थे। हाल ही में अतीक का नाम 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में दर्ज हुआ था। इसके बाद से वह लगातार चर्चा में है। आइए जानते हैं राजनीति से अतीक अहमद के माफिया डॉन बनने तक का पूरा सफर -
अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त, 1962 को हुआ था। कहा जाता है कि माफिया अतीक ने करीब 43 साल पहले 1979 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। अतीक अहमदक के खिलाफ 100 मामलों में मुकदमा था। अतीक के साथ उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता उसके बच्चों अली और उमर अहमद के खिलाफ भी केस दर्ज हैं। अतीक अहमद ने शाइस्ता परवीन से शादी की थी। अतीक के अली, उमर अहमद, असद, अहजान और अबान सहित पांच बच्चे थे। उमर और अली जेल में है। वही असद का एनकाउंटर हो चुका है। दो बच्चे बाल संरक्षण गृह में हैं।
अपराध की दुनिया 1979 में पहली बार कदम रखा
अतीक अपराध की दुनिया 1979 में पहली बार कदम रखा। उस वक्त इलाहाबाद के चाकिया मोहल्ले में फिरोज अहमद का परिवार रहता था, जो तांगा चलाकर परिवार का गुजर-बसर करता था। महज 17 साल की उम्र में उसके सिर हत्या का आरोप लगा। उस समय पुराने शहर में चांद बाबा का दौर था। पुलिस और नेता दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहते थे। इसलिए अतीक अहमद को पुलिस और नेताओं का साथ मिला। लेकिन आगे चलकर अतीक अहमद, चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक साबित हुआ।
राजू पाल ने अतीक की सत्ता को दी थी चुनौती
अतीक अहमद की सत्ता को शहर पश्चिमी में राजू पाल ने चुनौती दी थी। अतीक अहमद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई शहर पश्चिमी विधानसभा सीट पर नवंबर 2004 में हुए उपचुनाव में राजू पाल ने अतीक के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को हराकर विधायकी तो जीत ली, लेकिन ऐसी अदावत छिड़ी कि राजू पाल को जान गंवाकर उसकी कीमत चुकानी पड़ी। 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज में चारों तरफ से घेरकर राजू पाल को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। इस हमले में संदीप यादव और देवीलाल भी मारे गए थे। पुलिस, सीबीसीआईडी और फिर आखिर में सीबीआई ने जांच की। सीबीआई ने पूर्व सांसद अतीक, उनके भाई अशरफ समेत दस के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अतीक अहमदाबाद जेल तो अशरफ बरेली जेल में बंद था।
अतीक का राजनीतिक सफर
– 2007 -चुनाव में अशरफ सपा से उतरा तो पूजा पाल ने पराजित किया।
– 2009 -अतीक अपना दल से प्रतापगढ़ संसदीय चुनाव लड़ा और हार गया।
– 2012 -अतीक अपना दल से पश्चिमी से लड़ा और पूजा पाल ने हरा दिया।
– 2014 -सपा के टिकट पर श्रावस्ती से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गया।
– 2018 -जेल में रहते हुए निर्दल फूलपुर से संसदीय चुनाव लड़ा, पराजित हुआ।
– 2019 -वाराणसी सीट से पीएम मोदी के खिलाफ नामांकन कराया, लेकिन लड़ा नहीं।
– 2022 -यूपी विधानसभा चुनाव में शाइस्ता परवीन ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया लेकिन हाथ खींच लिया।
[ad_2]