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केन्द्र सरकार ने भी उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इससे पहले पिछले साल नवंबर में धामी की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में हाईकोर्ट को नैनीताल से 40 किलोमीटर दूर हल्द्वानी स्थानांतरित किए जाने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की गई थी। हल्द्वानी जो नैनीताल जिले में भी स्थित है, हिल स्टेशन से लगभग 42 किलोमीटर दूर है और इसे कुमाऊँ का प्रवेश द्वार माना जाता है।
अधिकारियों के मुताबिक, केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने इस संबंध में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखा है। केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार द्वारा हल्द्वानी में हाईकोर्ट के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराए जाने के बाद, केंद्र सरकार उत्तराखंड हाईकोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने के लिए नोटिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करेगी।
साल 2000 में हुई थी उत्तराखंड हाईकोर्ट की स्थापना
हाईकोर्ट को नैनीताल से किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने का मामला 2019 से ही गरमाया हुआ है, कुछ इसका विरोध कर रहे हैं तो कई इसके पक्ष में हैं। साल 2000 में, जब उत्तराखंड राज्य को उत्तर प्रदेश से अलग किया गया था, उसी समय नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट की स्थापना भी की गई थी, जिसमें जस्टिस अशोक ए देसाई इसके संस्थापक मुख्य न्यायाधीश थे।
2019 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 26 जून को अपनी वेबसाइट पर हाईकोर्ट को नैनीताल से कहीं और शिफ्ट करने पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे, जिसके बाद हाईकोर्ट को स्थानीय होटल व्यवसायियों, रेस्तरां मालिकों, व्यापारियों, स्थानीय निवासियों, दुकानदारों, विभिन्न संघों सहित अन्य हितधारकों से हजारों सुझाव प्राप्त हुए थे।
उत्तराखंड एडवोकेट फ्रंट के संयोजक एमसी कांडपाल द्वारा हाईकोर्ट को नैनीताल से कहीं और शिफ्ट करने के संबंध में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन को दिए गए प्रतिनिधित्व के बाद हाईकोर्ट ने सुझाव मांगे थे। ज्यादातर लोगों ने सुझाव दिया था कि हाईकोर्ट को नैनीताल से एचएमटी कॉम्प्लेक्स हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर, ऋषिकेश, देहरादून आदि स्थानों पर शिफ्ट किया जाना चाहिए।
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