[ad_1]
ऐप पर पढ़ें
मुंबई की रहने वाली 10वीं की छात्रा मुबाशिरा सादिक ने दृढ़ इच्छा की मिसाल पेश की है। एक्सीडेंट में पैर टूट जाने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और एम्बुलेंस में ही लेटे हुए बोर्ड की परीक्षा दी। जी हां, इस बच्ची के जज्बे पर भले ही आपको भरोसा न हो मगर यह सच है। बीते शुक्रवार को मुबाशिरा साइंस 1 का पेपर देकर लौट रही थीं। इसी दौरान दोपहर करीब 1:30 बजे सड़क पार करते वक्त कार ने उनको टक्कर मार दी। इस हादसे में वह गंभीर रुप से घायल हो गईं और उसी दिन उनके बाएं पैर की सर्जरी करानी पड़ी। यह दुर्घटना बांद्रा में हिल रोड के पास सेंट जोसेफ कॉन्वेंट के पास हुआ।
रोड एक्सीडेंट में बुरी तरह से जख्मी होने के बावजूद मुबाशिरा का हौसला नहीं टूटा। ऑपरेशन थिएटर में जाने से पहले उन्होंने अपने स्कूल-टीचर्स से संपर्क किया। छात्रा ने उनसे कहा कि वह अपने बचे हुए पेपर भी देना चाहती है। एग्जाम सेंटर के कस्टोडियन संदीप ने बताया, ‘दुर्घटना उसके परीक्षा केंद्र सेंट स्टैनिस्लास हाई स्कूल के पास हुई थी। हमने स्कूल के प्रिंसिपल से कॉन्टैक्ट किया। इसके बाद उसे पास के एक अस्पताल में ले जाया गया।’
ऐसे मिलता गया सबका साथ
अंजुमन-ए-इस्लाम के डॉ एमआईजे गर्ल्स हाई स्कूल की प्रिंसिपल सबा पटेल ने इस घटना के बारे में अधिक जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘मैंने अस्पताल में मुबाशिरा और उनके परिवार के लोगों से बातचीत की। जैसा कि वह एक ब्राइट स्टूडेंट है, ऐसे में सभी टीचर्स ने यह उम्मीद जताई कि उसे बाकी के पेपरों के लिए उपस्थित होना चाहिए। इसे देखते हुए हमने औपचारिकताएं पूरी करनी शुरू कर दीं।’ एग्जाम सेंटर के कस्टोडियन ने कहा कि उन्होंने इसे लेकर बोर्ड सेक्रेटरी सुभाष बोरसे से संपर्क किया गया। बोरसे ने लड़की को एंबुलेंस में अपना पेपर लिखने की इजाजत दे दी। इसके बाद आगे की आवश्यक व्यवस्था पूरी की गई।
छात्रा को आर्थिक मदद भी मिली
प्रिंसिपल सबा पटेल ने बताया कि अनुमति मिलने के बाद स्कूल के कुछ टीचर शनिवार को उसके घर गए। उन्होंने पाया कि वह पढ़ रही थी। उन्होंने कहा, ‘मुबाशिरा के परिवार वाले आर्थिक समस्या से भी जूझ रहे थे। ऐसे में स्कूल के टीचर्स ने तुरंत उनकी मदद की। साथ ही एच वार्ड के सभी स्कूलों ने पहल की और उन्हें वित्तीय सहायता मुहैया कराई गई।’ वहीं, छात्रा ने कहा कि उन्हें टीचर्स ने एग्जाम देने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया। साथ ही उनके परिवार वाले भी इस फैसले के साथ मजूबती से खड़े रहे। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने उन सभी टीचर्स को धन्यवाद कहना चाहती हूं, जिन्होंने मेरी मदद की।’
[ad_2]