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साउथ कोरियन टेक कंपनी Samsung की ओर से सबसे प्रीमियम एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स लॉन्च किए जाते हैं और इस साल फरवरी में कंपनी Qualcomm Snapdragon 8 Gen 2 के कस्टमाइज्ड वर्जन के साथ Samsung Galaxy S23 Ultra लेकर आई है। इस फोन के 8GB रैम और 256GB स्टोरेज वाले बेस वेरियंट की कीमत 1 लाख रुपये के करीब है और इससे जुड़ी एक मजेदार जानकारी सामने आई है। कंपनी को यह फोन बनाने में ओरिजनल कीमत के मुकाबले बहुत कम खर्च आता है, जिसके दोगुने से ज्यादा में ग्राहक डिवाइस खरीद रहे हैं।
मार्केट रिसर्च कंपनी Counterpoint की ओर से Galaxy S23 Ultra का बिल ऑफ मटीरियल्स (BoM) एनालिसिस किया गया है और पता लगाया गया है कि इस फोन को बनाने में कुल कितना खर्च कंपनी को उठाना पड़ता है। रिपोर्ट की मानें तो इस डिवाइस को बनाने पर आने वाला खर्च इस डिवाइस की कीमत के 40 पर्सेंट से भी कम है। काउंटरपॉइंट ने बताया है कि सैमसंग को इसके प्रीमियम S23 Ultra स्मार्टफोन बनाने के लिए करीब 469 डॉलर (करीब 38,600 रुपये) खर्च करने पड़ते हैं।
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ढेर सारा प्रॉफिट कमा रही है सैमसंग
नए बिल ऑफ मटीरियल (BoM) एनालिसिस के बाद पता चला है कि सैमसंग अपने प्रीमियम स्मार्टफोन मॉडल्स से अच्छा-खासा प्रॉफिट कमा रही है। Galaxy S23 Ultra को Qualcomm के लेटेस्ट प्रोसेसर Snapdragon 8 Gen 2 के साथ लॉन्च किया गया है। सामने आया है कि स्मार्टफोन के प्रोसेसर और सेल्युलर कंपोनेंट्स पर इसपर आने वाले कुल खर्च का 34 पर्सेंट हिस्सा खर्च होता है। साफ है कि अन्य मॉडल्स के मुकाबले प्रो मॉडल्स क्यों महंगे हैं लेकिन फिर भी इनपर कंपनी को मिलने वाला प्रॉफिट मार्जिन ज्यादा है।
किस कंपोनेंट्स पर होता है कितना खर्च?
BoM से जुड़ी रिपोर्ट में बताया गया है कि सेल्युलर कनेक्टिविटी से जुड़े कंपोनेंट्स के बाद सबसे ज्यादा खर्च फोन के डिस्प्ले पर होता है और यह 18 पर्सेंट है। इसके अलावा Other कैटेगरी पर कुल रकम का 15 पर्सेंट खर्च होता है। इसके अलावा डिवाइस के कैमरा पर 14 पर्सेंट, मेमोरी और स्टोरेज पर 11 पर्सेंट और केसिंग पर 8 पर्सेंट खर्च किया जाता है। अच्छी बात यह है कि सैमसंग अपने डिवाइसेज में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर कंपोनेंट्स खुद ही बनाती है।
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मैन्युफैक्चरिंग के मुकाबले महंगा क्यों है फोन?
आपके मन में यह सवाल जरूर होगा कि अगर किसी फोन बनाने का खर्च कम है तो उसे महंगा क्यों बेचा जा रहा है। दरअसल, किसी भी स्मार्टफोन को लेटेस्ट इनोवेटिव टेक्नोलॉजी के साथ तैयार करने का शुरुआती खर्च ज्यादा आता है, साथ ही उनके रिसर्च और डिवेलपमेंट (R&D) पर भी बड़ी रकम खर्च होती है। बाद में मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट जरूर कम हो जाती है लेकिन कई टैक्स और कस्टम ड्यूटीज भी फोन पर लगती हैं। साथ ही कंपनी जरूरी प्रॉफिट भी कमाती है।
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