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सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जजों की नियुक्ति में देरी को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कॉलेजियम ने बुधवार को केंद्र को न्यायाधीशों की लंबित नियुक्तियों में तेजी लाने का निर्देश दिया। अदालत की ओर से कहा गया कि जजों के नाम रोके जाने से कैंडिडेट्स की सीनियॉरिटी प्रभावित होती है। SC के कॉलेजियम ने कहा, ‘दोहराए गए नामों को रोकने या उनकी अनदेखी करने से जजों की सीनियॉरिटी पर असर पड़ता है।’ कोर्ट ने केंद्र को लंबित नियुक्तियों को जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर कार्रवाई का निर्देश दिया।
दरअसल, चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले SC के कॉलेजियम ने मद्रास हाई कोर्ट के जजों के तौर पर नियुक्ति के लिए 4 जिला न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश की है। इनमें आर शक्तिवेल, पी धनबल, चिन्नासामी कुमारप्पन और के. राजशेखर शामिल हैं। हाई कोर्ट कॉलेजियम की ओर से 10 अगस्त, 2022 को मद्रास HC के न्यायाधीशों के रूप में 4 न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा गया था। इस सिफारिश पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और राज्यपाल की सहमति मिल चुकी है। इसे लेकर न्याय विभाग से 5 जनवरी, 2023 को फाइल मिली थी। मालूम हो कि कॉलेजियम में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसफ भी शामिल हैं।
SC ने केंद्र के समझ रखे ये प्रस्ताव
नियुक्ति को लेकर जारी प्रस्ताव में कहा गया, ‘प्रक्रिया ज्ञापन की शर्तों के अनुसार HC में प्रमोशन के लिए उपरोक्त न्यायिक अधिकारियों की फिटनेस और उपयुक्तता का पता लगाने का प्रावधान है। इसके लिए इस कॉलेजियम ने मद्रास एचसी के मामलों के जानकार SC के न्यायाधीशों से परामर्श लिया है।’ कॉलेजियम ने एक अन्य प्रस्ताव में सीनियर वकील हरप्रीत सिंह बरार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने सिफारिश की थी। इसे लेकर 25 जुलाई, 2022 की अपनी पिछली सिफारिश को भी दोहराया भी गया था।
कॉलेजियम को लेकर SC-सरकार में विवाद
SC कॉलेजियम की यह सिफारिश ऐसे समय में आई है जब न्यायाधीशों की नियुक्ति के लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच विवाद चल रहा है। जहां सरकार नई व्यवस्था और जजों की नियुक्ति में सुधार की वकालत कर रही है, वहीं SC चाहता है कि कॉलेजियम सिस्टम जारी रहे। CJI चंद्रचूड़ ने बीते शनिवार को ही कॉलेजियम सिस्टम का बचाव किया था। उन्होंने कहा कि कोई प्रणाली पूर्ण नहीं होती, लेकिन यह हमारे पास उपलब्ध सबसे बेहतरीन प्रणाली है। उन्होंने कहा कि अगर न्यायपालिका को स्वतंत्र रहना है तो इसे बाहरी प्रभावों से बचाना होगा।
कॉलेजियम प्रणाली को लेकर कानून मंत्री किरेन रीजीजू की ओर से नाखुशी जताने पर भी चीफ जस्टिस ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘धारणाओं में अंतर होने में क्या गलत है? लेकिन, मुझे अलग-अलग धारणाओं से एक मजबूत संवैधानिक अगुआ की भावना के साथ निपटना होगा। मैं इन मुद्दों में कानून मंत्री से नहीं उलझना चाहता, हम अलग-अलग धारणा रखने के लिए बाध्य हैं।’
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